उत्तर भारत के कई भागों में बीते 3-4 दिनों से सुबह का तापमान सामान्य से नीचे चल रहा है। जिसके चलते कुछ स्थानों पर पाला पड़ने की संभावना है। रबी फसलें वानस्पतिक वृद्धि के बाद वर्तमान समय में पुष्पित हो रही हैं। ऐसी अवस्था में मौसम की बेरुखी फसलों को काफी नुकसान पहुंचा सकती है। इससे पहले दिसम्बर के पहले सप्ताह तक तापमान सामान्य से कम चल रहा था जिससे फसलों का विकास अवरुद्ध हुआ और अब सामान्य से नीचे चला गया न्यूनतम तापमान और उत्तर-पश्चिम से आ रही सर्द और शुष्क हवाएँ फसलों को नुकसान पहुँचने की फ़िराक़ में हैं।
स्काइमेट के अनुसार उत्तर भारत के मैदानी राज्यों में न्यूनतम तापमान अधिकांश जगहों पर 4 से 7 डिग्री के बीच रिकॉर्ड किया जा रहा है। बृहस्पतिवार को हरियाणा के नारनौल में सुबह का तापमान सामान्य से 2 डिग्री कम 3.9 डिग्री दर्ज किया गया। राजस्थान के सीकर में पारा सामान्य से 2 डिग्री कम 3.8 डिग्री सेल्सियस तापमान रहा। सर्द पश्चिमी हवाओं का प्रवाह उत्तर प्रदेश के पूर्वी भागों में भी पहुँच रहा है जिसके चलते राज्य के अधिकांश भागों में सुबह का तापमान सामान्य से कम चल रहा है। राज्य के औद्योगिक नगर कानपुर में बृहस्पतिवार की सुबह के तापमान में भारी गिरावट हुई और यह सामान्य से 6 डिग्री सेल्सियस नीचे 1.8 पर पहुँच गया। इस स्तर पर तापमान पाला के लिए बेहद अनुकूल होता है। पारा कम होने से फसलों को नुकसान उत्तरी राजस्थान और पश्चिमी हरियाणा के भागों में होने की संभावना है।
स्काइमेट के अनुसार उत्तर भारत के मैदानी भागों से लेकर गंगा के मैदानी वाले भागों तक अगले 2 दिनों के बाद पारा फिर से नीचे जाएगा जिससे फसलों के लिए चुनौती बनी रहेगी। तापमान कम होने से इन भागों में कुछ स्थानों पर पाला पड़ने की संभावना है। आलू, गेहूं, सरसों और मटर सहित अधिकांश रबी फसलें इस समय जिस अवस्था में हैं, इन्हें पाला काफी नुकसान पहुंचा सकता है। किसानों को पाला पड़ने की संभावना को देखते हुए फसलों में पूर्व संध्या में सिंचाई कर देनी चाहिए। पानी लगे रहने पर फसलों का तापमान अधिक ठंडक और पाला भी सहने में सक्षम रहेगा जिससे फसल को नुकसान से बचाया जा सकता है। इसके लिए मौसम के पूर्वानुमान पर बारीक नज़र रखने की ज़रूरत है।
Image Credit: www.agric.wa.gov.au