मार्च-अप्रैल में हुई बारिश ने रबी फसलों पर जमकर कहर बरपया था। जिसके कारण 2014-15 में रबी फसलों के उत्पादन पर बुरा असर पड़ा है। सबसे अधिक नुकसान उत्तर भारत के गेहूं, चना, और सरसों के किसानों को उठाना पड़ा है। मध्य प्रदेश में भी असमय बारिश और ओलावृष्टि से सोयाबीन तथा मूँगफली जैसी फसलों के उत्पादन पर बुरा असर पड़ा है।
केन्द्रीय कृषि मंत्रलाय ने कल नई दिल्ली में वर्ष 2014-15 के लिए कुल अनाज उत्पादन का तीसरा अग्रिम पूर्वानुमान जारी किया, जिसके अनुसार गेहूं के उत्पादन में पिछले वर्ष के मुक़ाबले 4 प्रतिशत की कमी होगी। कृषि राज्यमंत्री संजीव बलियान ने बताया की 2014-15 में 9 करोड़ 58 लाख और 50 हज़ार टन गेहूं का उत्पादन हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार देश में गेहूं की रेकॉर्ड पैदावार की उम्मीद थी, जिसे बे-मौसमी बारिश ने धो डाला। गत वर्ष के मुक़ाबले अधिक उपज की संभावना के नज़रिये से देखें तो स्पष्ट है कि गेहूं की पैदावार में कमी 4 फीसदी से भी अधिक है।
वर्ष 2014 के खराब या कहें असंतुलित मानसून के कारण अधिकतर खरीफ फसलों पर नकारात्मक असर पड़ा था, जिससे चावल का भी कम उत्पादन हुआ। वर्ष 2014 में खराब मॉनसून और 2015 में मार्च-अप्रैल में मे-मौसम बरिश से 2014-15 के कुल अनाज उत्पादन में कमी की संभावना है। कृषि मंत्रालय के जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार इस बार कुल अनाज उत्पादन 5.25 प्रतिशत घटकर 25 करोड़ 10 लाख टन रहने का अनुमान है। वर्ष 2013-14 में रिकार्ड साढ़े छब्बीस करोड़ टन अनाज का उत्पादन हुआ था। इस वर्ष गेहूं, दाल, तिलहन, चावल और मोटे अनाज का उत्पादन घटने का अनुमान है। हालांकि एक अच्छी खबर गन्ने से जुड़ी है, इसके उत्पादन में कुछ वृद्धि हो सकती है।
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