इस साल महाराष्ट्र में पानी की कमी के चलते प्याज की फसल प्रभावित होने की आशंका है। इसी के मद्देनज़र सरकार ने प्याज़ की कीमतों में बढ़ोतरी होने से पहले 50,000 टन प्याज़ का भंडारण करना शुरू कर दिया है। पानी की कमी के कारण इस बार महाराष्ट्र में प्याज़ की फसल में कमी होने की आशंका है। वहीं पिछले वर्ष प्याज़ के अधिक उत्पादन के चलते किसानों को इसे महज़ 50 पैसे/किलोग्राम की सस्ती कीमत पर बेचना पड़ा था।
इस वर्ष महाराष्ट्र में पानी की कमी के कारण सूखे जैसे हालात बने हुए हैं। जिसके कारण यहां के इलाकों में प्याज़ के उत्पादन में कमी की आशंका है। उत्पादन में कमी के कारण, अप्रैल से नवम्बर के दौरान होने वाली प्याज़ की मांग बढ़ने से कीमतों में बढ़ोत्तरी भी हो सकती है। प्याज़ के सबसे बड़े उत्पादक राज्य महाराष्ट्र का 60 प्रतिशत हिस्सा पानी की भयानक कमी से जूझ रहा है।
सामान्यतः प्याज़ की कीमतों में जुलाई से सितंबर के बीच उछाल देखने को मिलता है। एक अधिकारी के अनुसार, 'मूल्य स्थिरीकरण कोष की प्रबंधन समिति ने भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (NAFED) को निर्देश दिया है कि प्याज़ की कीमतों को सामान्य बनाये रखने के लिए 50,000 टन प्याज़ की खरीद की जाये। इसके अलावा सरकार द्वारा भी प्याज़ की कीमतों के असामान्य रूप से बढ़ने पर जरूरी क़दम उठाये जायेंगे।'
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इस बीच स्काइमेट ने मॉनसून 2019 के देरी से आने और इसकी कमजोर शुरुआत के बीच भारत के दक्षिणी राज्यों और मध्य भागों में किसानों को खरीफ फसलों की बुआई देर से शुरू करने का सुझाव जारी किया है। ताकि फसलों का शुरुआती विकास पानी की कमी के कारण प्रभावित ना हो।
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