इस वर्ष अनुकूल मौसम के चलते देश में प्रमुख तिलहन फसलों में से एक सरसों की पैदावार में वृद्धि होने की संभावना है। बाज़ार विशेषज्ञों की मानें तो वर्ष 2016-17 में देश में कुल 65 से 70 लाख टन सरसों पैदावार के आसार हैं। गत वर्ष यानि 2015-16 में देश में 58 लाख टन सरसों की उपज हुई थी। सरसों की अच्छी उपज को देखते हुए इसकी कीमतों में गिरावट होना तय माना जा रहा है। सरसों के तेल की कीमतों में भी कमी आने के आसार हैं।
पंजाब के भटिंडा और मनसा देश में प्रमुख सरसों उत्पादक इलाकों में से हैं। इन दोनों जिलों में बीते वर्ष के 2500 हेक्टेयर के मुक़ाबले इस वर्ष 3000 हेक्टेयर में सरसों की बुआई की गई है। दोनों जिलों में भटिंडा में अधिक किसानों ने सरसों की बुआई की है। इस बार ना सिर्फ सरसों की खेती का दायरा बढ़ा है बल्कि अनुकूल मौसम के चलते फसल का अच्छा विकास हुआ है जिससे इसकी उत्पादकता और उत्पादन में बढ़ोत्तरी होने की संभावना है।
वर्तमान मौसम को अगर सरसों के संदर्भ में देखें तो बढ़ता तापमान भी इसके लिए अनुकूल माना जा रहा है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार इस समय सरसों की फसल परिपक्व होने की अवस्था में है और जल्द ही इसकी कटाई-मड़ाई शुरू होगी ऐसे में बढ़ते तापमान से सरसों के बीजों में नमी कम होगी जिससे बीजों की गुणवत्ता बेहतर होगी और तेल की मात्रा में भी वृद्धि होगी।
बीते वर्ष सरसों के तेल की अधिक कीमतों, न्यूनतम समर्थन मूल्य में 10.4 प्रतिशत की वृद्धि और 100 रुपए प्रति क्विंटल की दर से बोनस के चलते देश भर में सरसों की बुआई में 9 प्रतिशत का उछाल आया है। जनवरी के अंत तक के आंकड़ों के अनुसार देश में इस बार 70.5 लाख हेक्टेयर में सरसों की बुआई हुई है।
इस समय सरसों के तेल की कीमतें लगभग 85 से 105 रुपए प्रति लीटर की दर से चल रही हैं। अच्छी पैदावार की संभावना और नई फसल की आवक के बीच इसकी कीमतों में गिरावट आने के आसार हैं। विश्लेषकों के अनुसार आवक पूरी होने के बाद भी कीमतों में दबाव रहेगा और कीमतों में बढ़ोत्तरी देखने को नहीं मिलेगी।
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