कमजोर मॉनसून के चलते देशभर में अनाज उत्पादन और इसकी उत्पादकता पर असर पड़ा है। देश में वर्ष 2015 मॉनसून में 14% कम बारिश हुई। हरियाणा और पंजाब देश के प्रमुख अनाज उत्पादक राज्यों में से अगली पंक्ति में खड़े दिखाई देते हैं। हरियाणा में इस वर्ष सामान्य से 36% कम जबकि पंजाब में 31% कम बारिश हुई है। कम बारिश का असर सभी प्रमुख अनाजों के उत्पादन और इसकी उत्पादकता में देखने को मिल रहा है।
हरियाणा में किसान अपने उत्पाद सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य यानि एमएसपी से भी कम कीमत पर बेचने को मजबूर हैं। भंडारण की समस्या से बचने और खेती में अपनी लागत निकालने की जल्दी में किसानों को यह कदम उठाना पड़ रहा है। हालांकि राज्य के कृषि मंत्री ओम प्रकाश धनखड़ ने किसानों से आग्रह किया है कि अगर उन्हें कोई न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम कीमत देता है तो वह उसकी शिकायत सरकार से करें।
श्री धनखड़ ने कहा कि किसानों को उनके उत्पाद की पूरी कीमत मिल सकती है अगर वो धैर्य रखें और अनाज बेचने में जल्दबाज़ी ना दिखाएँ। उन्होंने कहा कि किसानों को धान को सुखाकर मंडियों में लाना चाहिए ताकि उन्हें 1450 रूपये प्रति क्विंटल के हिसाब मिल सके। कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार ने राहत के तौर पर किसानों को बिजली बिल में छूट उपलब्ध कराई है।
नीति आयोग के सदस्य ने कहा ऊंची एमएसपी से उत्पादकता नहीं बढ़ेगी
उधर नीति आयोग में सितंबर में नियुक्त किए गए कृषि एवं अर्थशास्त्र के विशेषज्ञ श्री रमेश चंद ने एक अखबार को दिये साक्षात्कार में कहा है कि कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए ऊंचा न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी टिकाऊ और कारगर उपाय नहीं है। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि भारतीय कृषि को इस समय कुछ नई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। बीते कुछ वर्षों में मॉनसून के असामान्य प्रदर्शन ने इस क्षेत्र के लिए चिंता पैदा कर दी है। साथ ही बेमौसम बरसात से भी कृषि को कहीं फायदा तो कहीं बड़े पैमाने पर नुकसान उठाना पड़ा है।
श्री रमेश चंद ने देश की कृषि के लिए दो प्रमुख बिन्दुओं पर ध्यान देने की बात की, एक प्राइसिंग और दूसरी नॉन-प्राइसिंग। प्राइसिंग से उनका आशय एमएसपी और दूसरे तरह के बोनस आदि से था जबकि नॉन-प्राइसिंग से उनका तात्पर्य मौसम और कीड़ों तथा रोगों की अचानक मार से था। उन्होंने हाल ही में पंजाब में कपास की फसल पर सफ़ेद मक्खियों के अचानक हुये हमले का ज़िक्र करते हुये कहा कि ऐसी स्थिति में आप एमएसपी बढ़ाकर उत्पादकता को प्रोत्साहित नहीं कर सकते।
नीति आयोग के सदस्य ने कहा कि कृषि क्षमता को बढ़ाने के लिए आवश्यकता है तकनीकि आधारित आधारभूत संरचना, सिंचाई, आधुनिक औज़ार और उन्नतशील बीजों के विकास और उनके इस्तेमाल की।
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