कृषि और किसानी की समस्या ने किसानों को इस कदर परेशान किया है कि उन्हें दिल्ली में डेरा डालना पड़ा है। किसानों ने दिल्ली में किसान मुक्ति संसद बुलाई और बैठक में प्रतीकात्मक विधेयक भी पारित कर दिया। इस विधेयक में किसानों ने पूर्ण कर्ज माफी और उनके उत्पादों की बेहतर कीमत की गारंटी की मांग की है।
किसानों के इस आंदोलन में पहली बार इतनी बड़ी संख्या में किसान संगठन एक मुद्दे को लेकर एक साथ एक जुट हुए हैं। दिल्ली के रामलीला मैदान में सोमवार को जुटे लगभग 50 हज़ार किसानों में महिलाएं भी शामिल थीं। किसानों की मांग है कि लागत और उत्पाद की कीमतों में अंतर कम हो रहा है जिससे उनकी लागत बढ़ रही है। किसानों के अनुसार कर्ज़ के बोझ तले दबा किसान और दब रहा है। मेहनतकश किसान कर्ज़ के दबाव में आकार आत्महत्या कर रहा है।
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भारत के विभिन्न प्रान्तों से किसान इस मौके पर राजधानी दिल्ली के रामलीला मैदान में इकठ्ठा हुए। किसानों ने सबसे पहले मंदसौर के किसानों, खेती से हारकर अत्महत्या करने वाले किसानों और यवतमाल में कीटनाशक के चलते मारे गए किसानों को श्रद्धांजलि देकर अपने आंदोलन की शुरुआत की।
अलग-अलग क्षेत्रों में काम करने वालों ने किसानों के पक्ष में आवाज़ बुलंद की। नर्मदा बचाओ आंदोलन की अगुआ रही मेधा पाटेकर ने कहा कि वर्तमान नीतियाँ किसानों के लिए विनाशकरी हैं। किसानों के पक्ष में खड़े सांसद राजू शेट्टी ने किसानों की तरफ से सरकार को चुनौती भरे लहज़े में कहा कि किसानों को धोखा देकर दिल्ली के तख्त पर कब्ज़ा जमाने वालों को नीचे लाने की हिम्मत किसानों को है। जय किसान आंदोलन से जुड़े स्वराज अभियान के योगेंद्र यादव ने कहा कि किसानों की संसद देश के किसान आंदोलन में मील का पत्थर साबित होगी।
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