देश के लगभग सभी भागों में प्री-मॉनसून वर्षा के साथ खरीफ फसलों की बुआई शुरू हो गई है। शुरुआती संकेत कपास, दलहन और तिलहन फसलों की बुआई से जुड़े मिल रहे हैं। देश भर में 26 मई 2017 तक प्राप्त आंकड़ों के अनुसार कपास की बुआई में 27 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। पिछले वर्ष की इसी अवधि तक 8.83 लाख हेक्टेयर में कपास बोई गई थी जबकि इस वर्ष 11.24 लाख हेक्टेयर में इसकी खेती हो चुकी है।
कुल 11.24 लाख खेती में 10.49 लाख क्षेत्र में बीटी कॉटन की बुआई की गई है। शेष क्षेत्रों में अन्य किस्में बोई गई हैं। हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और दक्षिणी कर्नाटक में कपास की बुआई ज़ोरों पर है। हरियाणा और पंजाब में लगभग 70 से 80 प्रतिशत कपास की बुआई हो चुकी है।
अनुकूल मौसम और बीते वर्ष में कपास की अच्छी कीमतों के मद्देनज़र किसानों का रुझान कपास की बुआई की तरफ बढ़ा है। न्यूनतम समर्थन मूल्य यानि एमएसपी में 160 रुपए की संभावित वृद्धि को देखते हुए भी किसान उत्साहित हैं। कपास की खेती का रकबा इस बार बढ़ने की संभावना है। इसके चलते कपास की पैदावार अधिक होने और इसका बाज़ार भी बेहतर रहने की उम्मीद है।
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हरियाणा में लगभग 80 से 90 प्रतिशत कपास की बुआई हो गई है। इसमें अधिकतर हाइब्रिड किस्में हैं। हरियाणा में इस बार बीते वर्ष के 5 लाख हेक्टेयर के मुक़ाबले 16% अधिक 5.83 लाख हेक्टेयर में कपास अब तक बोई गई है। लगभग 5.77 लाख हेक्टेयर में बीटी किस्में जबकि बाकी हिस्सों में अन्य किस्में बोई गई हैं। सभी किस्में 180 से 220 दिनों में परिपक्व होती हैं।
राज्य में फरवरी-मार्च में बोई गई कपास की फसल लगभग 1 फुट की हो चुकी है और स्वस्थ है। देर से बोई जाने वाली किस्में 20 अप्रैल से 15 मई के बीच बोई जाती हैं। इस दौरान बोई गई फसल इस समय 3-4 इंच की हो गई। हाल की अच्छी प्री-मॉनसून वर्षा के चलते बुआई तेज़ी से हुई है। स्थानीय स्तर से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार अनुकूल मौसम के चलते राज्य के अधिकतर हिस्सों में मिट्टी में नमी पर्याप्त है जिससे देर से बोई जाने वाली क़िस्मों में 50 से 60 प्रतिशत तक अंकुरण हो गया है।
Image credit: Agrifarming.in
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