दक्षिण पश्चिम मॉनसून 2015 कमजोर रहा। मॉनसून अवधि में देश में सामान्य से 14% कम बारिश दर्ज की गई। वर्ष 2015 के मॉनसून के दौरान लोग छाता लेकर बाहर निकलते ज़रूर थे लेकिन बारिश से बचने के लिए नहीं बल्कि तेज़ धूप से अपने को बचाने के लिए।
अपर्याप्त बारिश के चलते देश के कई राज्यों को सूखे का सामना करना पड़ा है। सूखा प्रभावित राज्यों को पर्याप्त मदद के लिए केंद्र सरकार ने सोमवार को राष्ट्रीय आपदा राहत कोष से 4000 करोड़ रूपए जारी किए जाने को मंजूरी दी।
प्रायद्वीपीय भारत के राज्य कमजोर मॉनसून से सबसे अधिक प्रभावित हुए थे। देश के पूर्वी और उत्तर-पश्चिमी राज्यों को भी कम नुकसान नहीं हुआ। केंद्र सरकार ने 7 राज्यों के लिए राहत पैकेज की घोषणा की है। मॉनसून 2015 की अवधि में कम बारिश के चलते कुल 18 राज्य सूखा प्रभावित हुए थे। महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, ओड़ीशा, कर्नाटक और छत्तीसगढ़ सूखे की मार झेलने वाले अन्य राज्यों में से हैं।
सोमवार को स्वीकृत की गई मदद के अनुसार 1177.59 करोड़ रूपए राजस्थान को, 1773.78 करोड़ रूपए तमिलनाडु को, 336.94 करोड़ रूपए झारखंड को, 332.57 करोड़ रूपए असम को, 280.19 करोड़ रूपए आंध्र प्रदेश को, 170.19 करोड़ रूपए हिमाचल प्रदेश को और 16.02 करोड़ रूपए नागालैंड को दिए जाएंगे। समाचार पत्र टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई एक उच्चस्तरीय बैठक के बाद सूखा प्रभावित राज्यों को मदद की यह मंजूरी दी गई।
सूखा प्रभावित क्षेत्रों की स्थिति का आंकलन किए जाने के बाद केंद्र ने यह राहत जारी करने का फैसला किया। यह लगातार दूसरा वर्ष है जब देश को सूखे जैसे हालात का सामना करना पड़ा है। इसके अलावा वर्तमान समय में भी मौसम का रूख कुछ असामान्य ही दिखाई दे रहा है जिसके चलते इस वर्ष ठंड कम पड़ी है साथ ही शीत ऋतु में भी बारिश में कमी रही। वर्तमान रबी सत्र में अगर राज्यों ने समय रहते उपाय नहीं किए तो किसानों को फिर से संकट का सामना करना पड़ सकता है।
Image Credit: in.reuters.com