वित्त वर्ष 2017-18 के लिए केंद्रीय बजट प्रस्तुत करते हुए वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कृषि क्षेत्र को संबल देने तथा कृषि विकास दर को बेहतर करने के लिए कई उपायों की घोषणा की। उन्होंने अपने बजट भाषण में कहा कि पिछड़े इलाकों के लिए कृषि ऋण को बढ़ाने पर सरकार ध्यान केन्द्रित करेगी। उन्होंने कहा कि नाबार्ड का कंप्यूटरीकरण किया जाएगा। सरकार फसल बीमा योजना के लिए 9000 करोड़ रूपए आवंटित करेगी।
इसके अलावा उन्होंने कृषि से जुड़े कुछ और महत्वपूर्ण उपायों की भी घोषणा की, जिसमें मृदा स्वास्थ्य कार्ड और ठेके पर खेती के लिए आधुनिक क़ानून शामिल हैं।
आगामी वित्त वर्ष के लिए जारी किए गए बजट के कुछ मुख्य बिन्दु इस प्रकार हैं:
- ग्रामीण, कृषि और संबद्ध क्षेत्रों के लिए बजट 2017-18 में कुल 187223 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है जो बीते 2 वर्षों के मुक़ाबले 24% अधिक है।
- किसानों की आय अगले 5 वर्षों के दौरान बढ़ाकर दोगुनी करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध।
- वित्तमंत्री ने अरुण जेटली ने घोषणा करते हुए कहा कि वर्ष 2017-18 में कृषि ऋण के लिए ऐतिहासिक रूप से 10 लाख करोड़ रुपये का लक्ष्य तय किया गया है।
- वित्त मंत्री ने कहा कि संविदा खेती को लेकर एक आधुनिक क़ानून तैयार किया जाएगा और इसे राज्यों को भी भेजा जाएगा ताकि वे इसे अपना सकें।
- सरकार मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी करेगी इसके लिए कृषि विज्ञान केन्द्रों में छोटी प्रयोगशालाएँ स्थापित की जाएंगी।
- फसल बीमा योजना के अंतर्गत बीमा का दायरा बढ़ाकर 30 प्रतिशत से 40 प्रतिशत किया जाएगा।
- “प्रति बूंद अधिक फसल” यानि पर ड्रॉप मोर क्रॉप के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रारंभिक तौर पर 5000 करोड़ रुपये की सिंचित निधि से एक समर्पित सूक्ष्म सिंचाई कोष स्थापित किया जाएगा।
- इसके साथ ही कुल 40,000 करोड़ रुपये की सिंचित निधि से दीर्घ अवधि सिंचाई कोष भी स्थापित किया जाएगा।
- उन्होंने कहा कि 8000 करोड़ रुपये की लागत से नाबार्ड के अंतर्गत डेयरी प्रसंस्करण अवसंरचना निधि की स्थापना की जाएगी।
Image credit: The Indian Express
कृपया ध्यान दें: स्काइमेट की वेबसाइट पर उपलब्ध किसी भी सूचना या लेख को प्रसारित या प्रकाशित करने पर साभार: skymetweather.com अवश्य लिखें।