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[Hindi] कृषि विकास दर में बढ़ोत्तरी की संभावना-आर्थिक सर्वेक्षण

February 1, 2017 2:31 PM |

Wheat-farmingमंगलवार 31 जनवरी को संसद में प्रस्तुत की गई आर्थिक समीक्षा के अनुसार 2016-17 में कृषि विकास दर 4.1 फीसद रहने की संभावना है, जो बीते 3 वर्षों में सबसे अधिक है। वर्ष 2015-16 में कृषि विकास दर मात्र 1.2 प्रतिशत थी। वर्ष 2015-16 और 2014-15 में मॉनसून कमजोर रहा जिसका असर स्वाभाविक रूप से कृषि के विकास पर पड़ा। 2014-15 में मॉनसून सीज़न में सामान्य से 11% कम वर्षा हुई जबकि 2015-16 में मॉनसून 14% कमजोर रहा। वर्ष 2016-17 में मॉनसून का प्रदर्शन सामान्य रहा।

वर्ष 2016-17 में बेहतर मॉनसून के चलते ही इस वर्ष कृषि की विकास दर में बढ़ोत्तरी हुई है और बेहतर रबी फसल के लिए भी मौसमी परिदृश्य अनुकूल बना। बेहतर मॉनसून के चलते मिट्टी में अपेक्षित नमी बनती है जिससे आगामी फसल भी बेहतर होने की संभावना होती है। अच्छे मॉनसून के बाद अनुकूल मौसम के चलते इस वर्ष रबी फसल की बुआई गत वर्ष के 600.02 लाख हेक्टेयर के मुक़ाबले बढ़कर 637.34 लाख हेक्टेयर हुई है।

भारत के कुल वित्तीय उत्पादन में कृषि का योगदान लगभग 14 प्रतिशत है और कृषि या कृषि से जुड़े कार्यों में देश की लगभग आधी आबादी लगी हुई है। कृषि के अच्छे प्रदर्शन से देश की अर्थव्यवस्था को बल मिलता है।

हालांकि दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के बाद तमिलनाडु, केरल और दक्षिणी आंतरिक कर्नाटक के हिस्सों में अच्छी वर्षा देने वाला उत्तर-पूर्वी मॉनसून इस बार कमजोर रहा। उत्तर-पूर्वी मॉनसून की सुस्ती से इन भागों में मौसम मुख्यतः शुष्क बना रहा। इंडियन ओशन डायपोल (IOD) के नेगेटिव रहने और अन्य मौसमी पहलुओं के तटस्थ रहने के चलते उत्तर-पूर्वी मॉनसून की अवधि में कुछ ही सिस्टम विकसित हो पाए जिससे इन राज्यों में बारिश कम हुई।

आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु में रबी सीज़न में मुख्यतः धान, दलहन, तिलहन सहित कई प्रमुख खाद्यान्नों की खेती की जाती है। चूँकि इन राज्यों में उत्तर-पूर्वी मॉनसून कमजोर रहा इससे फसलों की गुणवत्ता और उत्पादकता पर नकारात्मक असर देखने को मिल सकता है। जनवरी में भी तमिलनाडु को छोड़कर शेष दक्षिणी राज्यों में मौसम मुख्यतः शुष्क ही बना रहा। तमिलनाडु में बीते माह में अच्छी वर्षा हुई।

हालांकि अच्छी खबर यह है कि इन राज्यों के जलाशयों में इस वर्ष पानी की मात्रा पिछले साल के मुक़ाबले अधिक है। बीते वर्ष की तुलना में इस बार इन जलाशयों में 10.21% अधिक पानी का संग्रहण है। हालांकि जलाशयों में गत एक दशक की औसत मात्रा से यह अभी भी 39% कम है।

Image credit: Agrifarming.in

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