खराब मौसम की मार से अंगूर भी नहीं बचा है। परिणामस्वरूप ना केवल इसकी गुणवत्ता खराब हुई है बल्कि यह बाज़ारों से नदारद है। अगर कहीं उपलब्ध है भी तो इसकी कीमतें काफी अधिक हैं। भारत अंगूर का एक प्रमुख निर्यातक देश भी है। जो अपने अंगूर का निर्यात मुख्य रूप से रूस और यूरोपीय देशों को करता है। देश ने 2014 में लगभग 2 लाख टन अंगूर निर्यात किया, जिसमें यूरोपीय देशों में 65000 टन अंगूर भेजा गया। इस बार यूरोपीय देशों को अंगूर के निर्यात का आंकड़ा घटकर 34000 टन हो सकता है।
अंगूर की खेती की अगर बात करें तो इसके पौधों में अक्तूबर में फूल आने लगते हैं। और इसका फल दिसम्बर के अंत से बाज़ारों में दिखने लगता है। फल तोड़ने का काम दिसम्बर के आखिर से लेकर मई तक चलता रहता है। लेकिन इस बार ये जल्द समाप्त हो सकता है क्योंकि बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि ने अंगूर की फसल को काफी हद तक तबाह कर दिया है। सबसे अधिक नुकसान नासिक के वानी और नेफाड़ ब्लॉक में जबकि सोलापुर के अकलकोट में मार्च की बारिश और ओलों से हुआ। कर्नाटक के बीजापुर और चिकबल्लापुर जिलों में भी अंगूर का उत्पादन होता है। यहाँ भी फरवरी और मार्च में हुई बारिश से नुकसान पहुंचा है।
भारत में अंगूर का सबसे अधिक उत्पादन महाराष्ट्र के नासिक, सांगली, सोलापुर और पुणे में जबकि कर्नाटक के बीजापुर और चिकबल्लापुर में होता है। बाज़ार से जो अंगूर आप खाने के लिए खरीदते हैं वो आमतौर पर नासिक और पुणे से आता है। जबकि सोलापुर और बीजापुर के अंगूर को प्रसंस्कृत करके किसमिस बनाया जाता है।
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